हर दर्द की है बस एक दवा ;
हर पल में उठा सदियों का मजा ।
जी खोल के जी जी जान से जी ;
कुछ कम ही सही पर शान से जी ।
जो जित बीत गया सो बीत गया ;
जो बीतना है वो हंस हंस के बिता ।
{राहत इन्दोरी }
हर पल में उठा सदियों का मजा ।
जी खोल के जी जी जान से जी ;
कुछ कम ही सही पर शान से जी ।
जो जित बीत गया सो बीत गया ;
जो बीतना है वो हंस हंस के बिता ।
{राहत इन्दोरी }
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