Sunday, July 19, 2009

हर दर्द की दवा

हर दर्द की है बस एक दवा ;

हर पल में उठा सदियों का मजा ।

जी खोल के जी जी जान से जी ;

कुछ कम ही सही पर शान से जी ।

जो जित बीत गया सो बीत गया ;

जो बीतना है वो हंस हंस के बिता ।

{राहत इन्दोरी }

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